रूहानी इश्क़

तुम आना तो संग ले के आना कहानियाँ और सुनने का वक्त भी
कहानियाँ सब ध्यान से सुनुंगी
फिर सुनाऊँगी तुम्हें बातें अपनी
और फिर एक दूसरे को
समझ लेंगे हम कुछ ऐसे
तुम आना तो संग लाना
अपनी पढ़ी किताब कोई
रंग लाना तुम्हारे दिल को पसंद आयी बातें सारी
और तोहफ़े में मैं तुमको दूँगी
मेरी दिल अज़ीज़ एक किताब
जिसमे होगी मेरे पसन्दीदा पंक्तियों की फ़ेहरिस्त सब
तुम आना तो फूल चुन लाना
हाँ पर वह लाल, पीले, गुलाबी नहीं
कुछ श्वेत, कुछ चाँद, कुछ इश्क़ सा
और रखूँगी कुछ शर्त भी
की जैसे
तुम्हारी मैं जागीर नहीं
ख़रीदी, जीती कोई चीज़ नहीं
मुझ पर ज़ोर हक़ नहीं साजा है
मेरा अन्दाज़, अदा मेरी अपनी है
मैं ज़ुबान दूसरों की रखती नहीं
तो तुम जब आना तो साथ लेके आना इज़्ज़त लेने और देने की अदा
मोहब्बत महज़ एक लव्ज़ नहीं
मोहब्बत कहने सुनने से नहीं होती
मोहब्बत निभाने की कला है
मोहब्बत समझने का वादा है
तो अब तुम आना तो लेते आना मोहब्बत
मुझे मोहब्बत ही मंज़ूर है

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