मजनू अपनी लैला को मिलने
फिर गली में आयेगा
रोमियो भी जूलियट के लिए
महल के चक्कर लगाएगा
हीर को पाने रांझा
घोड़े पे सवार होकर फिर आयेगा
कितनी ही दीवारें खड़ी कर दो अनारकली का प्यार
सलीम तक पहुंच ही जायेगा
गीत को छोड़ने के लिए
आदित्य फिर भटिंडा जायेगा
नैना के लिए बन्नी
सारे जहां का चक्कर छोड़ घर वापस आयेगा
बर्फी भी सीटी बजाता
झिलमिल की खिड़की के नीचे फिर जायेगा
और अपना वेद?
वह तारा के लिए फिर हीरो बन जायेगा
ये इश्क की दुनिया है जनाब यहां
सब यही गीत गुनगुनाते हैं
के अदिति वह जो बिछड़ते है एक न एक दिन फिर मिल जाते है
जाने तू या जाने ना फूल फिर खिल जाते हैं
ये ज़माना जायेगा, नया जमाना आयेगा
इश्क वही था वही है वही रहेगा भले ही तरीका बदल जाएगा
अरे इश्क है जनाब, इसको ना कोई रोक पाया था
ना ही कोई रोक पायेगा
कितने भी पहरे डाल लो
जिसको होना है, इश्क हो ही जायेगा
और हां, आज कुछ इश्क में पड़े मुसाफिर हैं
कल ऐसे ही दीवानों का पूरा काफिला खड़ा हो जायेगा
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