
आज़ादी
चोर बाज़ार में सरे आम बिकती है आज़ादी,चौहत्तर साल हुए पर कभी – कभी ही दिखती है आज़ादी। जो कहे कोई सिर उठाकर की ‘हां हम आज़ाद है’तो बंदूक की नोक पर टिकती है आज़ादीचौहत्तर साल हुए पर कभी – कभी ही दिखती है आज़ादी किसी की तिजोरियां फूले नहीं समाति हैकहीं पर रोटियों कि […]