झूठ बोलते है वह लोग जो बोलते हैं की वह सच बोलते हैं
सच जुबान का मोहताज नहीं है मिटाए गए धब्बों के निशान खुद बोलते हैं।
झूठ बोलते है वह लोग जो बोलते हैं की वह सच बोलते
वह दुखी रहते है दफ्तर में अक्सर
फिर घर में खुश रहने का झूठ बोलते हैं
मन लगता कहां है पढ़ाई में उनका
किताब घर भूल आने का जो बच्चे हर वक्त झूठ बोलते हैं।
झूठ बोलते है वह लोग जो बोलते हैं की वह सच बोलते
भले ही जला दो दस्तावेज सारे, फूक दो कागज़ात, मिटा दो सबूत,
नजरो में पीड़ा पाले लोग थोड़े ही झूठ बोलते हैं
रोज़ लगाते हैं कचेहरी, बैठाते हैं पंचायत सरे आम, किसका सच छुपाना है किसका झूठ दिखाना है तय ये करते हैं
सच क्या जानेगा समाज वह के जिसके आईने खुद झूठ बोलते हैं।
झूठ बोलते है वह लोग जो बोलते हैं की वह सच बोलते हैं
सच की कीमत लगाई तुमने ही सरे बाज़ार, कोडियों के भाव बिका अखबार जिसमे सच्ची खबर छपी थी कल
आज यही लोग चिल्लाते है क्यों सब झूठ बोलते हैं
झूठ बोलते है वह लोग जो बोलते हैं की वह सच बोलते हैं
चलो ठीक है जो बोलते हैं बोलने दो
आओ हम तोड़ते हैं चुप्पी,
चलो हम सच बोलते है
लगे रहने दो दाग, दिखाओ दुनिया को कालिख लगाने वाले का चेहरा,
दुखी हो तो दुखी बताओ खुद को, गिराओ आसूं, हल ढूंढो
पढ़ाई कठिन लगती है, मन नहीं लगता कभी ये भी कह के देखो, नई नई कलाएं सीखो, क्या करना है ये तो बोलो
बदलो सरकारें , आवाज उठाओ, देश ऐसे भी चलता है,
उठाओ वह सच सा कड़वा अखबार, बाचो उसे ज्ञान लो
हटा दो पर्दा, उड़ा दो नक़ाब
अपना भी, और उनका भी।