काला रंग ग़र दाग़ है
काला नज़र का टीका भी तो है
काला अक्षर है भैस बराबर
स्याही ने क्या खूब लिखा भी तो है
काले ने पलके उठाई
काले ने नज़र बचायी
रक्षा करी काले ने
काले ने जान बचाई
रातें जगाई काले ने
काले ने दी परछाई
गिला जो तुम्हें काले से
काले ने उँगली उठाई
सफ़ेद झूट की पर्त पर
काले ने कालिख लगाई
माना सलाख़ें सब काली हैं
पर काले से ही है रिहाई
कितना तुम कोसोगे काले को
काले ने दुनिया चलाई